Adhura Pyaar - 1 in Hindi Love Stories by Priya books and stories PDF | अधूरा प्यार - भाग 1

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अधूरा प्यार - भाग 1

कुछ अधूरा सा था जो पूरा हुआ ही नहीं
                  कोई मेरा भी था जो मेरा हुआ ही नहीं


ये कहानी हैं प्रिया की जिसने एक लड़के से प्यार तो किया पर कभी शादी नहीं कर सकी। प्यार की सभी कहानिया पूरी नहीं होती, कुछ अनकही सी अधूरी रह जाती हैं।



       उसकी यादो का असर कुछ ऐसा हुआ मुझपर
          की उसे ढूँढते ढूँढते मै खुद खो गई 



...काॅलेज खत्म होने के  छ साल बाद प्रिया और उसके  दोस्त इतने सालो बाद फिर से मिलने वाले थे। वह चारो दोस्त (प्रिया, सिया, तन्वी,आध्या) से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हैं।

16 नवम्बर 2025 को उन लोगों ने सिया के घर पर मिलने का फैसला किया। 

निधारित की गई तारीख को प्रिया सिया के घर पहुंच जाती हैं। उसकी माँ ने दरवाजा खोला....और प्रिया को अंदर बुलाया। कुछ देर बाद सिया के घर पर वह सभी दोस्त इक्ट्ठा हो जाते हैं। 

वह साथ में खाना खाते हैं और फिर लखनऊ शहर को घूमने के लिए बाहर की ओर निकल जाते हैं.....।

प्रिया और उसकी बाकी तीन दोस्त गोमती नदी के तट पर खड़े है....इस तट के तीनों तरफ नदी अपने पूरे उफान पर है...यह एक खूबसूरत रात हैं,चांद हमारे सिर पर हैं और तारे जगमगा रहें हैं,और इस सुन्दर आकाश के नीचे हम चार दोस्त। 

नदी की दूसरी तरफ बड़ी इमारते और छोटी छोटी पीली झालरे प्रिया को किसी यूरोपीय शहर की याद दिला रहीं थी। 
प्रिया ने मन में कहा...ये नजारा बहुत सुन्दर हैं,,,लेकिन तुम लोगों के साथ यहाँ होने से ये और भी सुन्दर हो गया हैं।

प्रिया ने अपने दोस्तों की ओर देखते हुए कहा।


सिया- प्रिया की ओर मुस्कुरा हुए --तुमने सही कहा,,,....वह चारों एक साथ बाहें फैलाकर खड़े हो गए,,,और उस ठंडी और
सूकून भरी हवा में गहरी सांस ली। 

तभी सिया-- कैसी लगी ये जगह हैं ना खूबसूरत ?

आध्या--'इससे खूबसूरत जगह के बारे में मैं तो सोच भी नहीं सकती। यह तो स्वर्ग हैं'.....

और एकबार फिर ठंडी हवा के झोकें ने उन चारों को घेर लिया।

वह चारों गोमती नदी के किनारे  बेफिक्र होकर बैठ गए 

उसी समय  एक सीरियस टाॅपिक पर बात शुरू हुई जिसने वहां के हल्के महौल को भारी कर दिया।

आध्या ने सिया की ओर देखते हुए कहा--'तो अब आगे क्या??
सिया-आगे मतलब ?
आगे मतलब जीवन मे अगली महत्वपूर्ण कड़ी से हैं।
अब तेरी डाॅक्टर की पढाई भी हो गई इतनी अच्छी डाॅक्टर भी बन गई हैं...बैंक में पैसा भी जमा होता जा रहा हैं।

तो अब आगे की क्या प्लानिंग हैं....

'हां मैं समझ रही हूँ तुम क्या कहना चाह रही हो' --सिया ने खुले आसमान की ओर देखते हुए कहा।

'लेकिन मुझें लगता हैं तुम्हें ये सवाल मुझसे नाराज करके इससे करना चाहिए था...सिया ने प्रिया की ओर  अपना चेहरा घुमाते हुए कहा'

सब प्रिया की ओर देखने लगे...मुझें पता नहीं तुम लोगो की लाइफ में ,और घर में क्या चल रहा हैं लेकिन मेरे घर वाले तो मेरी शादी को लेकर पागल हो रहे।वह मेरे पीछे इस तरह से पड़े हैं की तुम लोग सोच भी नहीं सकती हो..( प्रिया ने सपाट शब्दों मे कहा)

'सही कहा तुमने...क्या हम अकेले अच्छी तहर से नहीं रह सकते?'- आध्या ने कहा।

'तुम सही कह रही हो लेकिन सच्चाई यह हैं की हमें एक न एक दिन अपने जीवनसाथी के साथ घर बसाना होगा।...
हम कब तक अपने माता पिता के सवालो को टाल सकते हैं। हमको लेकर भी उनकी कुछ उम्मीदें हैं और सपने
-तन्वी ने आध्या की ओर देखते हुए कहा

उस रात उन चारों दोस्तों ने नदी के किनारे बैठकर इस मसले पर बड़ी ही गंभीरता से बात की।

तभी सिया प्रिया की ओर देखते हुए--अगर तुम्हें कभी मौका मिलने चुनने का तो तुम क्या करना चहोगी...लव मैरिज या आरेंज मैरिज मम्मी पापा की पसंद से या अपनी पसंद से?

अब ये तो खुद की पसंद पर डिपेन्ड करता हैं...हम सब अपने पैरो पर खड़े हैं तो मुझें नहीं लगता की किसी के भी पैरंट्स को अपने बच्चो की पसंद से ऐतराज होगा....।

आध्या--मुझें पता नहीं तुम्हारी आखिरी लाइन कितनी सही हैं लेकिन शादी के फैसले को छोड़कर बाकी चीजे हमारे हाथ में हैं।

तभी तन्वी तपाक से बोलती हैं--जहां तक मेरी बात हैं मैं तो अपने पसंद के लड़के से ही शादी करूंगी। लेकिन पिछले एक साल से मैं डैड के बिजनेस को संभालने के लिए मैं आउट ऑफ कन्ट्री रहती हूँ,,,ऐसे प्यार-व्यार के लिए टाइम कहां रहता हैं।
और वैसे मुझें तो ऐसा लड़का चाहिए जो मेरे साथ यूएस चलने को तैयार हो ....और पंजाबी भी हो ....लेकिन यूएस में  ऐसे लड़के कहां मिलते हैं? जो हिन्दुस्तानी भी हो और पंजाबी भी।

देखो दुनिया इन्टरनेट लवर होती जा रही हैं। तुम अपने पसंद के लड़के को ढूँढने के लिए किसी वेबसाइट का यूज क्यों नहीं करती.......सिया ने मजाक करते हुए कहा।

ये वेबसाइट वगैरहा सचमुच भी किसी काम की होती हैं?
मुझें नहीं लगता।( तन्वी ने कहा)



उन चारों दोस्तो को बात करते हुए रात के करीब नो बज चुके थे....हमारे खाली पेट ने हमें अपने वजूद की याद दिलाई।

तभी प्रिया- मुझें  लगता हैं अब काफी देर हो चुकी हैं हमें घर चलना चाहिए। प्रिया ने खड़े होते हुए कहा 
हां तो वो पहला इंसान कौन हैं?---जब हम खड़े होकर अपने कपड़ो की धूल झाड़ रहे थे...(तब तन्वी ने पूछा)

जो सबसे पहले शादी करने वाला हैं या वेबसाइट पर सबसे पहले अपनी प्रोफाइल बनाने वाला हैं?(तन्वी ने हंसते हुए पूछा)

तभी सिया और आध्या  ने प्रिया की ओर उंगली दिखाते हुए कहा। मुझें लगता है वो ये हैं।

ये उन चारों दोस्तों के मिलने की आखिरी रात थी...इसके बाद वो चारों लोग प्रिया को  लखनऊ स्टेशन पर छोड़ने के लिए आये। एकबार फिर वह चारो लोग वैसे ही गले मिले जैसे काॅलेज के आखिरी दिन पर मिले थे ।


प्रिया ट्रेन के डिब्बे में सवार हो गई और गेट पर खड़ी होकर तब तक उन लोगों को हाथ हिलाकर अलविदा करती रही जब तक वह तीनों लोग उसकी आँखो से ओझल नहीं हो गए। 
प्रिया अगले दिन सुबह भोपाल पहुंच गई .…।

दो सप्ताह बाद प्रिया कोर्ट पहुंच जाती हैं और अपने काम में लग जाती हैं।
ऑफिस में बैठकर प्रिया तन्वी के द्वारा खींची हुई अपनी लोगों की फोटो देख रही थी।


उसने प्रिया को कुछ फोटो उसके इ-मेल पर भेजी... जब प्रिया उन तस्वीरो को देख रही थी तब इनबाक्स के साइड में बार बार एक एड आ रहा था...जिसे चाहते हुए भी प्रिया इग्नोर नहीं कर पा रही थी।

वो एक शादी -विवाह की साइट थी,,,जिसपर एक हैंडसम से लड़के के मुस्कुराती हुई तस्वीर थी।

तभी प्रिया को दोस्तों के साथ हुई बातचीत की याद आ गई। 


कहानी जारी हैं.....

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